Saturday, 19 February 2022

the इंडिया history

भारत में सेवा करने वाले ब्रिटिश अधिकारियों को इंग्लैंड लौटने पर सार्वजनिक पद/जिम्मेदारी नहीं दी जाती थी।  तर्क यह था कि उन्होंने एक गुलाम राष्ट्र पर शासन किया है जिस जी वजह से उनके दृष्टिकोण और व्यवहार में फर्क आ गया होगा।  अगर उनको यहां ऐसी  जिम्मेदारी दी जाए, तो वह आजाद ब्रिटिश नागरिकों के साथ भी उसी तरह से ही व्यवहार करेंगे।
 इस बात को समझने के लिए नीचे दिया गया वाक्य जरूर पढ़ें
 एक ब्रिटिश महिला जिसका पति ब्रिटिश शासन के दौरान पाकिस्तान और भारत में एक सिविल सेवा अधिकारी था।  महिला ने अपने जीवन के कई साल भारत के विभिन्न हिस्सों में बिताए।  अपनी वापसी पर उन्होंने अपने संस्मरणों पर आधारित एक सुंदर पुस्तक लिखी।

 महिला ने लिखा कि जब मेरे पति एक जिले के डिप्टी कमिश्नर थे तो मेरा बेटा करीब चार साल का था और मेरी बेटी एक साल की थी। डिप्टी कलेक्टर को मिलने वाली कई एकड़ में बनी एक हवेली में रहते थे।  सैकड़ों लोग डीसी के घर और परिवार की सेवा में लगे रहते थे।  हर दिन पार्टियां होती थीं, जिले के बड़े जमींदार हमें अपने शिकार कार्यक्रमों में आमंत्रित करने में गर्व महसूस करते थे, और हम जिसके पास जाते थे, वह इसे सम्मान मानता था।  हमारी शान और शौकत ऐसी थी कि ब्रिटेन में महारानी और शाही परिवार भी मुश्किल से मिलती होगी।
 ट्रेन यात्रा के दौरान डिप्टी कमिश्नर के परिवार के लिए नवाबी ठाट से लैस एक आलीशान कंपार्टमेंट आरक्षित किया जाता था।  जब हम ट्रेन में चढ़ते तो सफेद कपड़े वाला ड्राइवर दोनों हाथ बांधकर हमारे सामने खड़ा हो जाता।  और यात्रा शुरू करने की अनुमति मांगता।  अनुमति मिलने के बाद ही ट्रेन चलने लगती।

 एक बार जब हम यात्रा के लिए ट्रेन में सवार हुए, तो परंपरा के अनुसार, ड्राइवर आया और अनुमति मांगी।  इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाती, मेरे बेटे का किसी कारण से मूड खराब था।  उसने ड्राइवर को गाड़ी न चलाने को कहा।  ड्राइवर ने हुक्म बजा लाते हुए हुए कहा, जो हुक्म छोटे सरकार।  कुछ देर बाद स्टेशन मास्टर समेत पूरा स्टाफ इकट्ठा हो गया और मेरे चार साल के बेटे से भीख मांगने लगा, लेकिन उसने ट्रेन को चलाने से मना कर दिया.  आखिरकार, बड़ी मुश्किल से, मैंने अपने बेटे को कई चॉकलेट के वादे पर ट्रेन चलाने के लिए राजी किया, और यात्रा शुरू हुई।

 कुछ महीने बाद, वह महिला अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने यूके लौट आई।  वह जहाज से लंदन पहुंचे, उनकी रिहाइश वेल्स में एक काउंटी मेथी जिसके लिए उन्हें ट्रेन से यात्रा करनी थी।  वह महिला स्टेशन पर एक बेंच पर अपनी बेटी और बेटे को बैठाकर टिकट लेने चली गई।लंबी कतार के कारण बहुत देर हो चुकी थी, जिससे उस महिला का  बेटा बहुत परेशान हो गया था।  जब वह ट्रेन में चढ़े तो आलीशान कंपाउंड की जगह फर्स्ट क्लास की सीटें देखकर उस बच्चे को फिर गुस्सा आ गया।  ट्रेन ने समय पर यात्रा शुरू की तो वह बच्चा लगातार चीखने-चिल्लाने लगा।  "वह ज़ोर से कह रहा था, यह कैसा उल्लू का पट्ठा ड्राइवर है है।  उसने हमारी अनुमति के बिना  ट्रेन चलाना शुरू कर दी है।  मैं पापा को बोल कर इसे जूते लगवा लूंगा।" महिला को बच्चे को यह समझाना मुश्किल हो रहा था कि "यह उसके पिता का जिला नहीं है, यह एक स्वतंत्र देश है। यहां डिप्टी कमिश्नर जैसा तीसरे दर्जे का सरकारी अफसर तो क्या  प्रधान मंत्री और राजा को भी यह अख्तियार नहीं है  कि वह लोगों को उनके अहंकार को संतुष्ट करने के लिए अपमानित कर सके

 आज यह स्पष्ट है कि हमने अंग्रेजों को खदेड़ दिया है।  लेकिन हमने गुलामी को अभी तक देश बदर नहीं किया।  आज भी कई डिप्टी कमिश्नर, एसपी, मंत्री, सलाहकार और राजनेता  अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए आम लोगों को घंटों सड़कों पर परेशान करते हैं।  इस गुलामी से छुटकारा पाने का एक ही तरीका है कि सभी पूर्वाग्रहों और विश्वासों को एक तरफ रख दिया जाए और सभी प्रोटोकॉल लेने वालों का विरोध किया जाए।

 नहीं तो 15 अगस्त को झंडा फहराकर और  मोमबत्तियां जलाकर लोग खुद को धोखा देते हैं के हम आजाद हैं...
 प्रोटोकॉल को ना कहें।
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Friday, 4 February 2022

good hacker

बिहार के इस लड़के ऋतुराज चौधरी ने परसों रात को 1:05:09 पर गुगल को हिला दिया। इसने 51 सेंकड तक गुगल को ही हैक कर दिया। हैक होते ही पूरी दुनियां में बेठे गुगल के अधिकारियों के हाथ पांव फूल गये। अमेरीका के आफिस में अफरा तफरी मच गई। वो कुछ समझ पाते इतने 51 सेकंड में ऋतुराज ने पुनः गुगल को फ्री कर सेवाऐ बहाल कर दी और गुगल को मेल किया की आपकी इस गलती की वजह से मैं इसे हैक कर सका।

यह मेल कर ऋतुराज तो सो गया क्योंकि हमारे यहां रात थी। मगर मेल पढ़ अमेरीका चैन से नहीं बैठ सका, मेल में दी गई सारी डिटेल को फालो कर वहां के अधिकारियों ने भी गुगल को 1 सेकंड के लिऐ हैक कर देखा और उनको गलती का एहसास हुआ। आनन - फानन में अमेरीका में 12 घंटे मीटिंग चली और लास्ट डिसीजन हुआ कि उस लड़के को बुलाओ! दिन के ठीक 2 बजे ऋतुराज के पास मेल आया कि हम आपकी काबिलियत को सैल्यूट करते हैं, आप हमारे साथ काम कीजिए... हमारे अधिकारी आपको लेने आ रहे हैं । तुरंत दूसरे मेल में गुगल ने ऋतुराज को जोइनिंग लेटर दे दिया, उसमें 3.66 करोड़ का पैकेज दिया।

ऋतुराज के पास पासपोर्ट नहीं था, गुगल ने भारत सरकार से बात की और सिर्फ 2 घंटे में उसका पासपोर्ट बन कर घर आ गया। ऋतुराज आज प्राइवेट जेट से अमेरिका जाऐगा। #ऋतुराज आईआईटी मणिपुर में बीटेक सेकंड ईयर का स्टुडेंट है। और #बेगुसराय के पास ही #छोटे #गांव #मुंगेरीगंज का निवासी है।

एक बिहारी सब पर भारी 🥰

good morning